बुधवार देर रात नानाखेड़ा क्षेत्र में हुए सड़क हादसे में युवक की मौत हो गई । युवक अपने बर्थडे की पार्टी मनाने घर से तीन दोस्तों के साथ निकला था । लौटते समय रात करीब 12 बजे उनकी कार बिजली पोल से टकरा गई । हादसे में चारों लोग घायल हो गए । चारों को अस्पताल ले जाया गया , जहां जयंत पिता राजेंद्र देसाई को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया । जयंत की पार्टी मनाने के लिए ही दोस्त कार से गए थे । नानाखेड़ा थाना पुलिस के अनुसार जयंत ( 23 ) पिता राजेंद्र देसाई का 8 अप्रैल को जन्मदिन था । देर रात तीन अन्य दोस्त उसे उसके घर से पार्टी मनाने का कह कर ले गए । रात 12 बजे के आसपास इंदौर रोड पर गिरीश पेट्रोल पंप के पास कार बिजली के पोल से टकरा गई । इससे ड्राइवर सीट के पास बैठा जयंत समेत उसके तीन दोस्त भी घायल हो गए । डॉक्टरों ने जयंत को मृत घोषित कर दिया । जयंत के साथ बैठे युवक को जिला अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है । घायलों के अन्य मित्र रवि पाटीदार ने बताया कि वैसे जयंत रोजाना करीब 10.30 बजे तक घर चला जाता था , लेकिन बुधवार रात 11.45 बजे तीन दोस्तों के साथ पार्टी मनाने घर से निकला ।इंदौर रोड पर पंहुचा ही था कि पेट्रोल पंप के सामने कार के लेफ्ट साइड वाला हिस्सा इलेक्टिक के पोल से टकरा गया । इसके कारण जिस तरफ जयंत बैठा था । ड्राइवर साइड का हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई । दो भाई थे , एक को पैरालिसिस जयंत की पत्नी फिलहाल गर्भवती है । उसके दोस्तों के अनुसार जयंत का एक भाई है । इसके पहले ही जयंत का भाई भी दुर्घटना का शिकार हो चुका है । वह पैरालिसिस की हालत में घर पर ही है । जयंत के जाने के बाद घर में काम करने वाला कोई नहीं है ।
जब धरती से प्रकट हुए थे भगवान शिव और महाकाल मंदिर का ऐसे हुआ निर्माण Ujjain Mahakal Mandir Ki Kahani
मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी यानी अवंतिका , उज्जैयिनी समेत कई नामों से प्रसिद्ध शहर उज्जैन । जहां भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है । मां शिप्रा के तट पर बसा हुआ शहर अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है । उज्जैन को भगवान महाकाल की नगरी कहते हैं । शिव पुराण के अनुसार उज्जैन में बाबा महाकाल का मंदिर काफी प्राचीन है । इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के पालन करता नंद जी की 8 पीढ़ी पूर्व हुई थी । जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इस मंदिर में दक्षिण मुखी होकर विराजमान है । महाकाल मंदिर के शिखर के ठीक ऊपर से कर्क रेखा गुजरी है । इसी वजह से इसे धरती का नाभि स्थल भी माना जाता है । उज्जैन के राजा प्रद्योत के काल से लेकर ईसवी पूर्व दूसरी शताब्दी तक महाकाल मंदिर के अवशेष प्राप्त होते हैं । महाकालेश्वर मंदिर से मिली जानकारी के अनुसार ईस्वी पूर्व छठी सदी में उज्जैन के राजा चंद्रप्रद्योत ने महाकाल परिसर की व्यवस्था के लिए अपने बेटे कुमार संभव को नियुक्त किया था । 14 वीं और 15 वीं सदी के ग्रंथों में महाकाल का उल्ल...
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