हिमालये तू केदारं
🕉️ उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है |यह उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है, जो कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है। ये शिलाखंड भूरे रंग की हैं। मंदिर लगभग 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर बना है। इसका गर्भगृह प्राचीन है जिसे 80वीं शताब्दी के लगभग का माना जाता है ।केदारनाथ धाम और मंदिर तीन तरफ पहाड़ों से घिरा है। एक तरफ है करीब 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ है 21 हजार 600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ है 22 हजार 700 फुट ऊंचा भरतकुंड।केदारनाथ मंदिर न सिर्फ तीन पहाड़ बल्कि पांच नदियों का संगम भी है यहां- मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी ।इन नदियों में से कुछ का अब अस्तित्व नहीं रहा लेकिन अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी आज भी मौजूद है।
🚩 महर्षि वेद व्यास जी द्वारा रचित महाभारत में लिखा है कि जब महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भोलेनाथ की खोज में केदारनाथ आये थे। बाबा केदारेश्वर महादेव पांडवों की भक्ति, दृढ संकल्प देख कर प्रसन्न हो गए। उन्होंने इस दिव्य भूमि में दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया।।
●श्री केदारनाथ धाम विश्व विख्यात दिव्य 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और उत्तराखण्ड के पंच केदार में से पहला केदार है।।
●यहाँ पर भगवान शंकर बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में पूजे जाते हैं।
● द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर में नाभि, तुंगनाथ में भुजाएं , रुद्रनाथ में मुख और कल्पेश्वर में जटा रूप की पूजा की जाती है।।
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