इस बार ' जश्न ' नहीं ' सेवा ' दिवस है । NDA सरकार के सात साल पूरे होने के मौके पर BJP ने कोरोना संकट की वजह से जश्न नहीं मनाने का फैसला किया है । पिछले साल भी यह मौका फीका ही रहा था । 2014 में स्पष्ट बहुमत और अकेले BJP को 282 सीटें मिलने के पांच साल बाद 2019 में उसी सरकार को लोगों ने और ज्यादा ताकत 303 सीटों के रूप में दी , लेकिन क्या इसके मायने यह लगाए जा सकते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार के सात साल में सब कुछ अच्छा ही हुआ है ? यह दावा हो सकता है कि सरकार ने अपने राजनीतिक एजेंडे या घोषणापत्र की ज्यादातर बातों को पूरा करने की कोशिश की है , लेकिन खास तौर से पिछले एक साल से कोरोना संकट में मोदी सरकार को लेकर बहुत सवाल खड़े हुए हैं । सरकार के आकलन के लिए उसकी कामयाबी और नाकामी के मुद्दे बहुत हो सकते हैं , लेकिन फिलहाल हम तीन - तीन मुद्दों को देखने की कोशिश करते पहले बात करते हैं मोदी सरकार की कामयाबी को लेकर ... राम मंदिर निर्माण


मंदिर निर्माण BJP का सबसे बड़ा ऐसा राजनीतिक मुद्दा , जिसके पूरा होने की उम्मीद शायद BJP में भी ज्यादातर लोगों को नहीं थी । उसकी कामयाबी का सेहरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में शिलापूजन करके अपने सिर पर बांध लिया । अस्सी के दशक में BJP को ताकत देने के लिए RSS प्रमुख देवरस ने राम मंदिर आंदोलन को राजनीतिक मुद्दा बनाने की सलाह दी थी । फिर 1990 में आडवाणी की राम रथ यात्रा और 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बावजूद BJP का सबसे बड़ा ऐसा राजनीतिक मुद्दा , जिसके पूरा होने की उम्मीद शायद BJP में भी ज्यादातर लोगों को नहीं थी । उसकी कामयाबी का सेहरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में शिलापूजन करके अपने सिर पर बांध लिया । अस्सी के दशक में BJP को ताकत देने के लिए RSS प्रमुख देवरस ने राम मंदिर आंदोलन को राजनीतिक मुद्दा बनाने की सलाह दी थी । फिर 1990 में आडवाणी की राम रथ यात्रा और 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बावजूद मंदिर निर्माण शुरू होने की उम्मीद नहीं दिख रही थी , लेकिन मोदी सरकार ने पहले उसे सुप्रीम कोर्ट के रास्ते सुलझाया और फिर एक ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण का काम शुरू कर दिया । जो काम ' हिन्दू हृदय सम्राट ' लालकृष्ण आडवाणी नहीं कर पाए , उसे मोदी ने सच कर दिखाया । BJP ने नारा दिया ' मोदी है तो मुमकिन है ' । कश्मीर अब मुख्य धारा में 50 के दशक से ' जहां हुए बलिदान मुखर्जी , वो कश्मीर हमारा है ' , का नारा लगाने और ' एक देश एक विधान , एक प्रधान ' की सोच के साथ मीर से ' आर्टिकल 370 ' के अस्थायी प्रावधान को हटाने में करीब 70 साल लग गए । संसद में आर्टिकल 370 हटाने का बिल पास करके मोदी ने न केवल BJP बल्कि देश के राजनीतिक इतिहास में एक बड़ी जगह बना ली ।

राम मंदिर शिलापूजन से ठीक एक साल पहले की यह तारीख थी पांच अगस्त 2019 , जब 1954 के राष्ट्रपति आदेश को खत्म कर दिया गया । मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला सबसे बड़ा फैसला । इसके साथ ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश में बदलना और एक साल तक बंदी के बाद वहां स्थानीय निकायों के चुनाव कराना , बड़ी कामयाबी मानी जानी चाहिए , लेकिन अपने ही मुल्क में शरणार्थी बने कश्मीरी पंडितों को अभी भी | एक बड़े फैसले का इंतजार है ।


प्रधानमंत्री मोदी जब एक कार्यक्रम में अपनी मां को धुएं भरे चूल्हे के साथ रसोई में काम करने की तकलीफ का जिक्र कर रहे थे तो शायद किसी को अहसास नहीं था कि उनकी सरकार पांच करोड़ गरीब महिलाओं की जिंदगी को धुआं मुक्त करने वाली है । 1 मई 2016 को मोदी ने उत्तरप्रदेश के बलिया शहर में उज्ज्वला योजना की शुरुआत की , जिसमें गरीबी रेखा के नीचे जिंदगी बसर करने वाली पांच करोड़ महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए जाने थे । फिर इसे मार्च 2020 तक आठ करोड़ महिलाओं के लिए कर दिया गया , फिर 2021 के बजट में वित्त मंत्री ने इसे एक करोड़ और परिवारों के लिए बढ़ाने का ऐलान किया । माना जाता है कि इस योजना ने मोदी सरकार की 2019 में दमदार वापसी में अहम भूमिका निभाई । अब तीन नाकाम मुद्दों की चर्चा करते हैं ... पहला सुख निरोगी काया मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अभी पहला साल पूरा भी नहीं हुआ था कि देश कोरोना की गिरफ्त में आ गया । मार्च 2020 में प्रधानमंत्री ने देशभर में लॉकडाउन का ऐलान करते हुए कहा कि ' जान है , तो जहान है ' । लोगों की जिंदगी थम सी गई । सड़कों पर हजारों  , फिर लाखों की तादाद में प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटने लगे । फिर लॉकडाउन खोलते हुए मोदी ने कहा कि ' जान भी , जहान भी , तो लगा कि जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है । लेकिन , तभी कोरोना की दूसरी लहर बड़ी तबाही के साथ आई । देश की स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी प्रबंधन की पोल खुल गई । बेबस लोग और लापरवाह सरकार । जब वैक्सीन लगाने की बात आई तो दुनिया भर में मित्रता के नाम पर वैक्सीन की 6 करोड़ डोज भेज दी गईं , लेकिन देश में लोगों के लिए कम पड़ गई । सरकारें लाशों और मरीजों के आंकड़े दबाकर अपनी नाकामी छिपाती रही । सरकार के मुताबिक भी करीब पौने तीन करोड़ लोग संक्रमित और तीन लाख से ज्यादा लोगों की जान गई ।