गैस सिलेंडर भी महंगा , क्योंकि सब्सिडी के नाम पर केवल 48 रुपए ही , अब बारिश में जनता कैसे करेगी गुजारा शहरवासियों ने 14 महीने ( अप्रैल 2020 से 31 मई 2021 ) के 396 दिनों में कोरोना की दो लहरें देखी और 123 दिन लॉकडाउन में गुजारे । इस बीच पेट्रोल - डीजल की कीमत 25 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ गई । तेल , दाल , शकर सहित किराना सामग्री की कीमतों में भी औसतन 40 फीसदी तक का उछाल आया । गैस सिलेंडर भी महंगा मिल रहा है । कोरोना की दूसरी लहर में एक जून से शुरू हुए अनलॉक के बीच बारिश भी होने लगी है ऐसे में जनता के सामने चुनौती यह कि वह कैसे गुजारा करें ? इन परिस्थितियों के बीच जनता को अपनी जरूरतों में कटौती करना पड़ रही है । कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन अप्रैल -2020 के पहले सप्ताह में लगा था । यह 72 दिन चला । दूसरी लहर का लॉकडाउन 51 दिन बाद एक जून को समाप्त हुआ है । महामारी के इन 396 दिनों में से जनता को 123 दिन तो लॉकडाउन में ही काटने पड़े । अब अनलॉक में महंगाई लोगों की कमर तोड़ रही है और बारिश का दौर भी शुरू होने जा रहा है । हर परिवार को या तो अपना बजट बढ़ाना पड़ रहा है या जरूरतों में कटौती करना पड़ रही है । मार्च -20 में 77.88 पैसे लीटर था पेट्रोल , अब 103.03 पैसे है 31 पैसे जिले में कोरोना का पहला केस 25 मार्च 2020 को मिला था । तब पेट्रोल के दाम 77 रुपए 88 पैसे प्रति लीटर थे और अब कीमत बढ़कर 103 रुपए 03 पैसे हो गई है । एसे ही उस वक्त डीजल की कीमत 68 रुपए 59 पैसे प्रति लीटर थी और अब 94 रुपए गए हैं । यानी पेट्रोल - डीजल दोनों पर प्रति लीटर 25 से 26 रुपए तक बढ़े हैं । लोगों को निजी वाहनों से सफर में जहां ज्यादा पैसे खर्च करना पड़ रहे हैं । बसों का किराया बढ़ गया है । खाद्य तेल 85 रु . था अब 160 तक दाल 70 से 110 रुपए तक पहुंची किराना सामग्री की कीमतों में औसतन 40 फीसदी तक का उछाल आया है । किराना व्यापारी भगवानदास गुरनानी बताते हैं कि तब सोयाबीन तेल 85 से 90 रुपए किलो था , अब कीमत 160 रुपए हो गई हैं । तुअर दाल 70 रुपए किलो थी अब 110 रुपए हो गई है । ऐसे ही मूंगदाल , चना सहित अन्य दालों की कीमत भी बढ़ी । शकर में तब की तुलना में प्रति किलो पर तीन से चार रुपए की तेजी है । पैकिंग वस्तुओं की कीमतों में भी उछाल है । मई -20 से सब्सिडी 48 रु . से ज्यादा नहीं , महंगा मिल रहा गैस सिलेंडर उपभोक्ताओं को अप्रैल -20 तक रसोई गैस सिलेंडर पर 591 रुपए तक सब्सिडी के मिले थे । मई में यह शून्य हो गई । इसके बाद से अब तक 48 रुपए से ज्यादा सब्सिडी गैस सिलेंडर पर नहीं मिल रही है । फिलहाल रसोई गैस सिलेंडर 869 रुपए का पड़ रहा है । इधर सब्जियां व फल भी महंगे हो गए हैं । दवाइयों व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपायों के अलावा साफ सफाई की वस्तुओं पर भी रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं । शादी पर रोक से 200 करोड़ का कारोबार थमा , दीपावली तक हालात सुधरने की आस शादियों पर कोरोना संक्रमण के चलते प्रतिबंध लागू है । इसके चलते आखातीज का सीजन पूरी तरह पिट जाने से शहर में करीब 200 करोड़ रुपए का कारोबार थम गया । कारोबारियों को जून - जुलाई में भी उम्मीद नहीं है । दीपावली पर यदि स्थिति सामान्य रही तो 20 फीसदी तक व्यापार होगा । इससे व्यावसायिक क्षेत्रों में कुछ राहत की सांस आएगी । फिलहाल बाजार अनलॉक होने से केवल सामान्य ग्राहकी ही सांसों को बचाए हुए हैं । कारोबारियों का कहना है कि साल का 65 फीसदी कारोबार आखातीज के सीजन में होता है । दो साल पहले तक आखातीज का वैवाहिक सीजन 200 करोड़ रुपए तक जाता था । इसमें अकेले किराना बाजार 70 करोड़ तक पहुंचता है । थोक व्यापारी जेपी राठी कहते हैं कि 2020 और 2021 दोनों साल बुरी तरह पिट गए हैं । वीडी क्लॉक मार्केट के सूटिंग - शर्टिंग के थोक विक्रेता महेश पलोड़ बताते हैं कि शहर के कपड़ा बाजार में 40 करोड़ रुपए तक का कारोबार हो जाता है । सोना - चांदी व्यापारी करोड़ रुपए तक का कारोबार जाता है । सोना - चांदी व्यापारी शिव सोनी मानते हैं कि गिरी स्थिति में भी अप्रैल - मई में 15 से 20 करोड़ रुपए तक का कारोबार होता रहा है । होटल - गार्डन कारोबार 15 करोड़ तक पहुंचता है । बर्तन , गिफ्ट , इलेक्ट्रॉनिक्स , फर्नीचर और अन्य कारोबार को भी जोड़ लें तो सीजन में 200 करोड़ का कारोबार मामूली बात है । व्यापारी मानते हैं कि जो कारोबार चला गया वह गया , उसकी वापसी संभव नहीं है । अब तो आगे कितना कारोबार होगा , इस पर व्यापारियों की निगाह रहेगी । जून - जुलाई में कारोबार की स्थिति कमजोर है । दीपावली तक कोरोना संक्रमण की स्थिति पर व्यापार निर्भर करेगा । 2020 में दीपावली पर अच्छा कारोबार हो गया था । किसानों से होता बाजार गुलजार लॉकडाउन में 14 मई को अक्षय तृतीया पर भी होने वाले सामूहिक विवाह और अबूझ मुहूर्त की शादियां नहीं हुई । जबकि इस समय किसानों के पास गेहूं , चने की फसलों का पैसा आता है । इसलिए ग्रामीण क्षेत्र की अधिकांश शादियां इसी समय होती हैं । ग्रामीण क्षेत्र की शादियों की खरीदी से शहर का व्यापार - व्यवसाय चलता है । मौसम अनुकूल होने से शहरी क्षेत्र की शादियां , मैरिज डेस्टिनेशन की शादियां भी इसी वक्त होती है । शादियों के चलते बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलता है । इस कारण परा आर्थिक क्षेत्र व्यस्त नजर आता है । थोक व्यापारियों का मानना है कि चूंकि ग्रामीण और कस्बाई दुकानदारों ने मार्च में ही स्टॉक कर लिया था , इसलिए अनलॉक में उन्हें नई खरीदी की जरूरत ही नहीं है ।
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