तेलंगाना के राजना सिरचिल्ला जिले में कोरोना संक्रमण का एक अजीब केस सामने आया है । यहां संक्रमित होने के बाद आइसोलेट की गई एक महिला ने जबरदस्ती अपनी बहू को गले लगा लिया और उसे भी संक्रमित कर दिया । इसके बाद बहू को गांव के बाहर निकाल दिया गया । इसके बाद उसे उसकी बहन उसे अपने लेकर गई । सास से संक्रमित हुई 20 वर्षीय युवती ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बताया , " जब सास संक्रमित हुई थीं , तो उन्हें आइसोलेट कर दिया गया था । उन्हें निश्चित जगह पर भोजन दिया जाता था । उनके पोता - पोती को भी पास जाने की इजाजत नहीं थी । मैं भी उनसे लगातार दूरी बना रही थी । ऐसे में मेरी सास बहुत नाराज हो गई थीं । ' इस युवती ने अधिकारियों से कहा , " मेरी सास ने मुझे ये कहते जबरदस्ती गले लगा लिया कि तुम्हें भी कोरोना इन्फेक्शन होना चाहिए । क्या तुम लोग यही चाहते हो कि मैं मर जाऊं और तुम लोग हमेशा खुशी से रहो । ' परिवार के बदले हुए व्यवहार से नाराज थी सास सास से संक्रमित युवती का उसकी बहन के घर में इलाज चल रहा है । उसे आइसोलेशन में रखा गया है । इस महिला का पति ट्रैक्टर ड्राइवर का काम करता है और वो पिछले 7 महीनों से ओडिशा में है । अधिकारियों ने बताया कि युवती की सास कोरोना संक्रमित होने के बाद परिवार के बदले हुए व्यवहार से हैरान और नाराज थी । इससे उसके अहम पर चोट पहुंच रही थी । अधिकारियों ने युवती से कहा है कि अगर वो अपनी सास के खिलाफ केस करना चाहती है तो इसमें उसकी मदद की जाएगी ।
जब धरती से प्रकट हुए थे भगवान शिव और महाकाल मंदिर का ऐसे हुआ निर्माण Ujjain Mahakal Mandir Ki Kahani
मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी यानी अवंतिका , उज्जैयिनी समेत कई नामों से प्रसिद्ध शहर उज्जैन । जहां भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है । मां शिप्रा के तट पर बसा हुआ शहर अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है । उज्जैन को भगवान महाकाल की नगरी कहते हैं । शिव पुराण के अनुसार उज्जैन में बाबा महाकाल का मंदिर काफी प्राचीन है । इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के पालन करता नंद जी की 8 पीढ़ी पूर्व हुई थी । जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इस मंदिर में दक्षिण मुखी होकर विराजमान है । महाकाल मंदिर के शिखर के ठीक ऊपर से कर्क रेखा गुजरी है । इसी वजह से इसे धरती का नाभि स्थल भी माना जाता है । उज्जैन के राजा प्रद्योत के काल से लेकर ईसवी पूर्व दूसरी शताब्दी तक महाकाल मंदिर के अवशेष प्राप्त होते हैं । महाकालेश्वर मंदिर से मिली जानकारी के अनुसार ईस्वी पूर्व छठी सदी में उज्जैन के राजा चंद्रप्रद्योत ने महाकाल परिसर की व्यवस्था के लिए अपने बेटे कुमार संभव को नियुक्त किया था । 14 वीं और 15 वीं सदी के ग्रंथों में महाकाल का उल्ल...
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