ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर प्रशासन भले ही लाख दावे करे लेकिन सच्चाई कुछ और ही है । इसके दो उदाहरण बुधवार को सामने आए । सहर्ष हॉस्पिटल व देशमुख हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के परिजनों से स्पष्ट रूप से यह कहा गया कि उनके यहां ऑक्सीजन खत्म होने वाली है । लिहाजा वे अपने रोगी को यहां से कहीं और ले जाए या फिर खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था करें । इधर सीएमएचओ डॉ . महावीर खंडेलवाल का कहना है कि निजी हॉस्पिटल वाले रोगियों के परिजनों को सिलेंडर लाने को कह रहे हैं , इसकी हमें जानकारी नहीं है , दिखवाता हूं । अस्पताल ने कहा- तीन चार घंटे की ऑक्सीजन है , सिलेंडर लाओ मेरे जीजाजी हनुमान नाका पर स्टेशनरी की दुकान चलाते हैं । वे चार - पांच दिन से सहर्ष हॉस्पिटल में भर्ती हैं । उन्हें ऑक्सीजन लगी हुई है । बुधवार शाम को अस्पताल से हमें कहा गया कि यहां केवल तीन - चार घंटे की ऑक्सीजन ही बची है । ऑक्सीजन खत्म होने वाली है । लिहाजा तुम तुम्हारे रोगी को कहीं और ले जाओ या फिर खुद ही सिलेंडर की व्यवस्था करो । हम यह सुनकर हैरत में पड़ गए । इधर - उधर फोन करने लगे । एक परिचित के जरिए सात हजार में सिलेंडर खरीदा । उसे लेकर जीजा के भाई भूपेंद्र सिंह झाला अस्पताल पहुंचे हैं । देखते हैं आगे क्या स्थिति बनती है कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें । जैसा : रोगी के साले सुरेंद्र पंवार ने बताया । अस्पताल रोज 18 हजार रुपए ऑक्सीजन का खर्च वसूल रहा श्रीकृष्ण कॉलोनी में रहने वाले मेरे अंकल रविवार से देशमुख हॉस्पिटल में भर्ती हैं । लंग्स में ज्यादा इंफेक्शन होने से वे ऑक्सीजन पर हैं । हमें अस्पताल का रोज का 18 हजार रुपए खर्च आ रहा है । बुधवार शाम को अचानक से अस्पताल से हमें कहा गया कि यहां ऑक्सीजन खत्म होने वाली है । आपके पास एक से डेढ़ घंटा है अपने रोगी को रेफर करवाकर कहीं और ले जाओ या फिर सिलेंडर की व्यवस्था करो । जैसे - तैसे इधर - उधर चर्चा करके एक सिलेंडर की व्यवस्था की है , जबकि उन्हें रातभर में तीन से चार सिलेंडर लगेंगे । बाकी के लिए भी प्रयास कर रहे हैं । जैसा रोगी के निजातपुरा में रहने वाले भतीजे ने बताया ।