मध्यप्रदेश के विदिशा में संदिग्ध कोरोना मरीज को दो बार मृत बता दिया गया । परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र भी दे दिया गया । परिवार के कुछ सदस्य श्मशान पहुंच गए । अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे । शव आने का इंतजार कर रहे थे , तभी मेडिकल कॉलेज से फोन आया कि अभी पेशेंट जिंदा है । यह चौंकाने वाला मामला विदिशा के अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल कॉलेज का है । मामला सामने आने के बाद डीन सुनील नंदेश्वर ने कहा- मरीज वेंटिलेटर पर ही था उसकी अचानक हृदय गति रुक गई थी , लेकिन डेढ़ से 2 घंटे में हृदय को पंप किया गया तो सांसें आ गईं । यह थोड़ा सा कन्फ्यूजन नर्स के द्वारा गया है । बाद में हमने उनके वीडियो और फोटो मरीज को दिखा दिए हैं कि वह वेंटिलेटर पर सांसें ले रहे हैं , लेकिन सीरियस हैं । विदिशा के ग्राम सुल्तानिया निवासी गोरेलाल कोरी ( 58 ) को 12 अप्रैल की शाम मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था । उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी । गले में खराश और सर्दी के कारण मरीज को संदिग्ध कोरोना पेशेंट मानकर वेंटिलेटर पर ले जाया गया । 3 दिन तक उसका इलाज इसी तरह चलता रहा । गुरुवार शाम 4 बजे कॉलेज के प्रबंधन ने बताया कि मरीज की मौत हो गई है । परिजन भागते - भागते अंदर पहुंचे । वहां बताया गया कि अभी मौत नहीं हुई है , सांसें चल रही हैं । डॉक्टरों ने कहा कि गले का ऑपरेशन करना पड़ेगा । मरीज के जिंदा रहने की खबर पर परिजनों से राहत की सांस ली ही थी कि दोबारा शाम को 6:30 बजे अस्पताल से मरीजों के परिजन को कॉल आया कि आपके पिताजी की ऑपरेशन के दौरान मौत हो गई है । परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र भी दे दिया गया । परिवार के कुछ सदस्य श्मशान घाट पहुंच कर लकड़ी जुटाने लगे । इसी दौरान उनके पास मेडिकल कॉलेज से फोन आया कि आपका पेशेंट जिंदा हैं । इसके बाद परिजन भागकर फिर अस्पताल पहुंचे । यहां पर गोरेलाल कोरी उन्हें वेंटिलेटर पर मिले । खंडवा में भी ऐसा हो चुका है इससे पहले खंडवा में भी जिंदा युवक को मृत बताकर परिजन को बुजुर्ग का शव दे दिया गया था । अंतिम दर्शन के लिए चेहरा देखा तो पता चला कि यह युवक नहीं , कोई अन्य बुजुर्ग का शव है । युवक तो जिंदा था ।
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