केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोवीशील्ड के वैक्सीनेशन शेड्यूल में बड़ा बदलाव किया है । दूसरे डोज का गैप दो बार बढ़ाने के बाद अब इसे विदेश यात्रा पर जा रहे लोगों के लिए घटाया गया है । यानी कुछ कैटेगरी में दो डोज के लिए 84 दिन ( 12-16 हफ्ते ) का इंतजार करने की जरूरत नहीं है । 28 दिन ( 4-6 हफ्ते ) बाद भी दूसरा डोज लगवा सकते हैं । दो डोज का गैप सिर्फ कोवीशील्ड के लिए घटाया गया है । कोवैक्सिन के दो डोज का गैप 28 दिन था । उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है । 

किन लोगों को 28-42 दिन में लगेगा कोवीशील्ड का दूसरा डोज ? 

कोवीशील्ड के दो डोज के गैप में यह तीसरा बदलाव है । 16 जनवरी को टीकाकरण शुरू हुआ तो कोवीशील्ड और कोवैक्सिन में दो डोज का गैप 28-42 दिन का रखा गया था । पर 22 मार्च को कोवीशील्ड के दो डोज का अंतर 4-6 हफ्ते से बढ़ाकर 6-8 हफ्ते किया गया । फिर 13 मई को यह गैप बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया गया । . नई गाइडलाइन उन लोगों के लिए है जिन्हें पहला डोज लग चुका है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर जाना है । यह यात्रा उन्हें पढ़ाई , रोजगार या ओलिंपिक टीम के हिस्से के तौर पर करनी पड़ सकती है । ऐसे लोगों को कोवीशील्ड के दूसरे डोज के लिए 84 दिन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा । वे इससे पहले भी दूसरा डोज लगवा सकते हैं ।


कोवीशील्ड की डोजिंग पॉलिसी में यह बदलाव क्यों किया गया ? 

यह बदलाव भारत के बाहर यात्रा कर रहे लोगों के लिए जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर ( SOPS ) में किया गया है । दरअसल , कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर विकसित किया है । इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) अपनी मंजूरी दे चुका है । ऐसे में इसके दो डोज लगे होने पर लोग भारत के बाहर सुरक्षित यात्रा कर सकते हैं । उन्हें इन्फेक्शन होने का खतरा कम होगा । साथ ही वे नए तेजी से फैलने वाले म्यूटेंट वायरस स्ट्रेन्स से भी सुरक्षित रहेंगे । पर यह पॉलिसी सभी पर लागू नहीं होगी । अगर कोई व्यक्ति 84 दिनों के अंदर विदेश जाने वाला हो तो ही जल्दी दूसरा डोज लगाया जा सकेगा । अन्य लोगों को यह राहत नहीं मिलने वाली । उन्हें दूसरा डोज लेने के लिए 84 दिनों का इंतजार करना ही होगा ।


..तो दो डोज में 12-16 हफ्ते का गैप रखने का क्या फायदा है ? 

• सरकार ने 13 मई को नेशनल टेक्निकल एडवायजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन ( NTAGI ) की सिफारिश पर कोवीशील्ड के दो डोज का गैप बढ़ाया था । यह गैप 6-8 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते किया गया था । ग्रुप का कहना था कि इससे ज्यादा से ज्यादा लोग एक डोज लेकर कोविड के खिलाफ सुरक्षा घेरे में आ जाएंगे । . कुछ रिसर्चर्स और केस स्टडीज ने भी इस बदलाव का समर्थन किया है । उनके मुताबिक 12-16 हफ्ते के अंतर से कोवीशील्ड के दो डोज लगाने पर वह ज्यादा इफेक्टिव है । अधिक मात्रा में एंटीबॉडी रिस्पॉन्स पैदा करती है । भारत और विदेशों में मिला क्लीनिकल डेटा भी इस बात को सपोर्ट करता है ।


क्या गैप बढ़ने से इम्युनिटी बेहतर होती है ? 

 मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक कोवीशील्ड की इफेक्टिवनेस और इम्यून रिस्पॉन्स गैप बढ़ने से बढ़ता है । रिसर्चर्स ने पाया कि कोवीशील्ड ही नहीं बल्कि कुछ और वैक्सीन के साथ भी ऐसे ही नतीजे मिल रहे हैं । . दो डोज के बीच 6 हफ्ते या कम गैप रखने पर इफेक्टिवनेस 50-60 % रह जाती है । वहीं , 12-16 हफ्ते का गैप रखने पर यह इफेक्टिवनेस बढ़कर 81.3 % हो जाती है । यूके , यूरोप के कुछ हिस्सों के साथ ही श्रीलंका , कनाडा समेत कई देशों में कोवीशील्ड लग रही है । गैप को अलग - अलग देशों ने अपनी सहूलियत से अलग - अलग रखा है । यूके और कनाडा में चार महीने तक के गैप से दूसरा डोज लग रहा है । यही पॉलिसी भारत ने 13 मई के बाद अपनाई है । कुछ जगहों पर अलग - अलग वैक्सीन की मिक्सिंग और मैचिंग का काम हो रहा है । उसकी संभावनाओं और फायदों पर स्टडी हो रही है ।

 अगर दूसरा डोज नहीं लगा तो क्या होगा ? 

ऐसा भी हो सकता है कि किसी व्यक्ति को समय पर कोवीशील्ड का दूसरा डोज न लगे । तब क्या होगा ?

 जिन लोगों को पहला डोज लेने के बाद ज्यादा दिक्कतें आई हैं , उन्हें भी दूसरा डोज देरी से लेने की सलाह दी जा रही है । . ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को पार्शियल वैक्सीनेटेड माना जाएगा । उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्वारेंटाइन और टेस्टिंग से जुड़े निर्देशों का पालन करना होगा । हालांकि नई स्टडीज से सामने आया है कि कोवीशील्ड का पहला डोज कोवैक्सिन के मुकाबले ज्यादा मजबूत एंटीबॉडी रिस्पॉन्स पैदा करता है । इस तरह पार्शियल वैक्सीनेशन के बाद भी कुछ स्तर तक प्रोटेक्शन तो मिलता ही है । . हालांकि दोनों डोज लेना जरूरी है । जब भी संभव हो , तब दूसरा डोज जरूर लगवाएं । ताकि पूरी तरह वैक्सीने होने के लाभ आपको मिल सकें ।


कोवैक्सिन लगवाने वालों को विदेश यात्रा पर क्या समस्याएं हो सकती हैं ? 

कोवैक्सिन को अब तक WHO ने अप्रूवल नहीं दिया है । इस वजह से अब तक उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है । ऐसे में जिन लोगों ने कोवैक्सिन का पहला डोज लगवाया है , उन्हें 28 दिन बाद ही दूसरा डोज लगेगा । विदेश यात्रा करने पर उन्हें वैक्सीनेट नहीं माना जाएगा । यानी उन्हें अनिवार्य क्वाटाइन पीरियड बिताना पड़ेगा । साथ ही अगर किसी देश ने टेस्टिंग पॉलिसी लागू कर रखी है , तो उसके तहत उन्हें टेस्ट करवाने होंगे । घबराने की जरूरत नहीं है । कोवैक्सिन बना रही भारत बायोटेक ने वैक्सीन को WHO से अप्रूवल पाने के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं । कंपनी ने तो यह भी कहा है कि अतिरिक्त डेटा जुटाने के लिए वह चौथे फेज की तैयारी कर रही है । तीसरे फेज के ट्रायल्स में कोवैक्सिन 78 % इफेक्टिव साबित हुई है ।