कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच मध्यप्रदेश में सख्ती बढ़ाई जा रही है । शाजापुर में 7 अप्रैल की रात 8 बजे से 10 अप्रैल की सुबह 6 बजे तक लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया है । वहीं , भोपाल , इंदौर और जबलपुर समेत 13 शहरों में भी रविवार के साथ शनिवार को भी लॉकडाउन लगाया जा सकता है । हालांकि , मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका फैसला जिलों की क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी पर छोड़ा है ।रोको टोको अभियान चलाने की जरूरत बैठक में खजुराहो सांसद और BJP प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और गायत्री परिवार के सदस्य भी मौजूद थे । उन्होंने कई जरूरी सुझाव दिए । भोपाल में आवाज संस्था चलाने वाली रोली शिवहरे ने कहा कि यमराज और चित्रगुप्त के रूप में सड़कों और चौराहों पर रोको टोको अभियान चलाया गया , ताकि इससे लोग प्रेरित हों । इसमें जिला प्रशासन का सहयोग मिला । उन्होंने सुझाव दिया कि धार्मिक आयोजनों की तरह कॉलोनियों के लोगों को कोरोना प्रभावित परिवार की मदद करनी चाहिए । रोली ने विशेष अभियान चलाने की जरूरत भी बताई । छतरपुर के सीनियर डॉक्टर डॉ . सुभाष चौबे ने कहा कि छतरपुर के डॉक्टरों ने निर्णय लिया है कि कोविड काल में कोई भी डॉक्टर क्लीनिक बंद नहीं करेगा । भोपाल में पॉजिटिविटी रेट प्रदेश में सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में सर्वाधिक पॉजिटिविटी रेट 20 % भोपाल में है । इसके अलावा इंदौर , बड़वानी , नरसिंहपुर और खरगोन में 15 % -15 % , रतलाम में 14 % , बैतूल में 13 % , जबलपुर में 12 % और ग्वालियर और उज्जैन में 9 % पॉजिटिविटी रेट है । प्रदेश के कोरोना संक्रमित रोगियों में से 61 % रोगी होम आईसोलेशन में हैं , जबकि 39 % मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं ।
जब धरती से प्रकट हुए थे भगवान शिव और महाकाल मंदिर का ऐसे हुआ निर्माण Ujjain Mahakal Mandir Ki Kahani
मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी यानी अवंतिका , उज्जैयिनी समेत कई नामों से प्रसिद्ध शहर उज्जैन । जहां भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है । मां शिप्रा के तट पर बसा हुआ शहर अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है । उज्जैन को भगवान महाकाल की नगरी कहते हैं । शिव पुराण के अनुसार उज्जैन में बाबा महाकाल का मंदिर काफी प्राचीन है । इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के पालन करता नंद जी की 8 पीढ़ी पूर्व हुई थी । जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इस मंदिर में दक्षिण मुखी होकर विराजमान है । महाकाल मंदिर के शिखर के ठीक ऊपर से कर्क रेखा गुजरी है । इसी वजह से इसे धरती का नाभि स्थल भी माना जाता है । उज्जैन के राजा प्रद्योत के काल से लेकर ईसवी पूर्व दूसरी शताब्दी तक महाकाल मंदिर के अवशेष प्राप्त होते हैं । महाकालेश्वर मंदिर से मिली जानकारी के अनुसार ईस्वी पूर्व छठी सदी में उज्जैन के राजा चंद्रप्रद्योत ने महाकाल परिसर की व्यवस्था के लिए अपने बेटे कुमार संभव को नियुक्त किया था । 14 वीं और 15 वीं सदी के ग्रंथों में महाकाल का उल्ल...
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