उज्जैन लोकायुक्त ने एक बार फिर काले धन की उगाही करने वाले धन कुबेर को रंगे हाथ पकड़ा है । उज्जैन भारत पूरी क्षेत्र के रजिस्ट्री कार्यालय में चपरासी के पद पर पदस्थ नारायण रावत को लोकायुक्त पुलिस ने धर दबोचा । लोकायुक्त पुलिस ने बताया कि तराना तहसील निवासी शैलेन्द्र पंवार ने अपने भाई की जमीन की रजिस्ट्री की कॉपी निकलवाने के लिए आवेदन दिया था । इसको लेकर आवेदक शैलेन्द्र पंवार को कई दिनों तक चक्कर लगवाने के बाद आरोपी नारायण रावत ने कॉपी निकलवाने के नाम पर 4000 रुपए की मांग की । इस पर शैलेन्द्र ने इस बात की शिकायत लोकायुक्त को कर दी । गुरुवार को 3000 रुपए के लेन - देन के चलते आरोपी नारायण रावत रंगे हाथ पकड़ा गया । मामले की जानकारी मिलते ही लोकायुक्त पुलिस ने नारायण को पकड़ने के लिए जाल बिछाया । नारायण ने 4 हजार की जगह 3 हजार रुपए आवेदक शैलेन्द्र से लिए । इसके बाद शैलेन्द्र ने पुलिस को इशारा किया और और तब पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया । आरोपी से केमिकल लगे नोट जब्त कर लिए गए । लोकायुक्त डीएसपी वेदांत शर्मा ने बताया कि आखिर रजिस्ट्री कार्यालय में ये किस अधिकारी के लिए काम कर रहा है । नारायण रावत का पद चपरासी है और इसे नकल शाखा प्रभारी किसने बनाया इसकी भी जांच की जाएगी । पहले पांच हजार भी लिए थे आरोपी के नकल शाखा में प्रभारी बनाए जाने को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे है । इससे पहले 12 मार्च को भी शैलेन्द्र से आरोपी ने 5000 रुपए ले लिए थे । इसके बाद शैलेन्द्र ने अफसरों से शिकायत भी की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई ।
जब धरती से प्रकट हुए थे भगवान शिव और महाकाल मंदिर का ऐसे हुआ निर्माण Ujjain Mahakal Mandir Ki Kahani
मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी यानी अवंतिका , उज्जैयिनी समेत कई नामों से प्रसिद्ध शहर उज्जैन । जहां भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है । मां शिप्रा के तट पर बसा हुआ शहर अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है । उज्जैन को भगवान महाकाल की नगरी कहते हैं । शिव पुराण के अनुसार उज्जैन में बाबा महाकाल का मंदिर काफी प्राचीन है । इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के पालन करता नंद जी की 8 पीढ़ी पूर्व हुई थी । जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इस मंदिर में दक्षिण मुखी होकर विराजमान है । महाकाल मंदिर के शिखर के ठीक ऊपर से कर्क रेखा गुजरी है । इसी वजह से इसे धरती का नाभि स्थल भी माना जाता है । उज्जैन के राजा प्रद्योत के काल से लेकर ईसवी पूर्व दूसरी शताब्दी तक महाकाल मंदिर के अवशेष प्राप्त होते हैं । महाकालेश्वर मंदिर से मिली जानकारी के अनुसार ईस्वी पूर्व छठी सदी में उज्जैन के राजा चंद्रप्रद्योत ने महाकाल परिसर की व्यवस्था के लिए अपने बेटे कुमार संभव को नियुक्त किया था । 14 वीं और 15 वीं सदी के ग्रंथों में महाकाल का उल्ल...
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